1. भारत में रहने वाले भारतीय नागरिकों के सिन्धी के मौलिक साहित्यिक एवं शैक्षिक रचनाओं को प्रोत्साहित एवं प्रकाशित करना, सिन्धी बाल साहित्य की भी पुस्तकों का प्रकाशन करना तथा उच्च स्तर के सिन्धी भाषा में हस्तलिखित ग्रन्थों के प्रकाशन के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना।
2. भारतीय एकीकरण की दृष्टि से ऐसे अन्य कदम उठाना जिससे सिन्धी भाषा को बढ़ावा देना सम्भव हो तथा जिन महत्वपूर्ण साहित्यिक रचनाओं का अब तक सिन्धी भाषा में अनुवाद नहीं किया गया है उनके सिन्धी भाषा में अनुवाद की व्यवस्था करना।
3. सिन्धी भाषा के सन्दर्भ ग्रन्थो की रचना एवं उनका प्रकाशन करना तथा अब तक अप्रकाशित श्रेष्ठ रचनाओं को सिन्धी भाषा में प्रकाशित करना।
4. सिन्धी भाषा के सुयोग्य लेखकों को रचनाओं के प्रकाशन में सहायता करना।

योजना हेतु सामान्य नियम एवं क्रियान्वयन प्रक्रिया

1. इस योजना के अन्तर्गत उत्कृष्ट कोटि की रचनाओं के मुद्रण-प्रकाशन हेतु अनावर्तक अनुदान दिया जायेगा।
2. प्रकाशन अनुदान हेतु प्रार्थना पत्र उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी द्वारा अधिकृत प्रारूप पर स्वीकार किया जायेगा।
3. हिन्दी या किसी अन्य भारतीय भाषा में लिखित उत्कृष्ट रचनाओं/ ग्रन्थों को सिंधी भाषा में अनुवाद, मुद्रण एवं प्रकाशन हेतु अनुदान दिया जायेगा।
4. अकादमी जहाँ आवश्यक समझे पाण्डुलिपि की उत्कृष्ठता के विषय में किसी विशेषज्ञ की राय ले सकता
5. जैसी भी स्थिति हो, सम्बन्धित लेखक अथवा लेखक के उत्तराधिकारी द्वारा प्रार्थना-पत्र देने पर अनुदान प्रार्थना-पत्र नियमावली के शर्तों के अन्तर्गत स्वीकार किया जा सकता है।
6. पुस्तक की उपयोगिता/उपादेयता के विषय में एक लब्ध प्रतिष्ठ सिन्धी साहित्यकार की संस्तुति अनिवार्य रूप से प्रार्थना-पत्र के साथ प्रस्तुत करनी होगी।
7. अनुदान से संबंधित आवेदन पत्र के साथ तीन प्रेस की मुद्रण दर, व्यय विवरण सहित देना अनिवार्य होगा।
8. इस योजना के अन्तर्गत प्रकाशित पुस्तक की पचीस प्रतियाँ अकादमी को निःशुल्क उपलब्ध करायी जायेगी।
9. अनुदान का कोई भी भाग किसी भी परिस्थिति में किसी अन्य प्रयोजन में उपयोग नहीं किया जायेगा। 10. उत्तर प्रदेश में जन्में अथवा उत्तर प्रदेश में
10 वर्षों से निरन्तर रह रहे भारतीय नागरिकों को यह ___ अनुदान प्राथमिकता के आधार पर दिया जायेगा।
11. यह अनुदान उन भारतीय नागरिकों को भी दिया जा सकेगा जिसकी मातृ भाषा सिन्धी नहीं है। - 2
12. स्वीकृत 'प्रकाशन सामग्री' का शीर्षक बदला नहीं जा सकेगा।
13. अकादमी की आर्थिक सहायता से प्रकाशित सामग्री में विज्ञापन को कोई स्थान नहीं दिया जा सकेगा।
14. अनुवाद, लिप्यान्तरण आदि के लिए मूल लेखक को कोई रायल्टी, परितोषण आदि अकादमी द्वारा देय न होगा। यह दायित्व अनुवादकर्ता लिप्यन्तरण को स्वयमेव ही निभानी होगी।
15. प्रकाशन अनुदान की स्वीकृति में गुणवत्ता मूल आधार होगा।
16. अनुदान की धनराशि से संबंधित लेखों की निरीक्षा किसी भी समय निदेशक, उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी अथवा उसके द्वारा अधिकृत प्रतिनिधि अधिकारी द्वारा की जा सकती है। अनुदान अथवा उसका कोई अंश अनुप्रयुक्त पाया गया तो उसको मालगुजारी के बकाया के रूप में वसूल करने का अधिकार सिन्धी अकादमी का होगा। इस सम्बन्ध में अकादमी का निर्णय अन्तिम और उस पर कोई आपत्ति/प्रतिवेदन स्वीकार्य नहीं होगा।
17. प्रश्नगत सामग्री के प्रकाशन हेतु किसी अन्य संस्था/सरकार से किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं की जायेगी। यदि ऐसा किया गया तो अकादमी यह अधिकार होगा कि वह स्वीकृत/दिया जा चुका अनुदान वापस ले लें।
18. प्रकाशन अनुदान हेतु प्रार्थना पत्रों पर संस्थान का निर्णय अन्तिम होगा। इस पर कोई आपत्ति या प्रत्यावेदन स्वीकार नहीं किया जायेगा।
19. प्रत्येक स्वीकृत सामग्री की न्यूनतम 300 प्रतियाँ अवश्य प्रकाशित करानी होगी।
20. प्रश्नगत सामग्री 18X 23/8 या डिमाई नाप से कम में प्रकाशित नहीं होगी।
21. कविता के एक पृष्ठ पर 1 कविता या एक गजल या 01 गीत या 10 दोहे या कविता की 20 पंक्तियों का मुद्रण/ समावेश करना अनिवार्य होगा।
22. रूपये 100.00 प्रति पृष्ठ का अनुदान स्वीकृत करते हुए न्यूनतम रू0 5000.00 एवं अधिकतम रू0 ___40000.00 की सीमान्तर्गत ही अनुदान स्वीकृत किया जायेगा।
23. प्रकाशन की स्वीकृति के पश्चात् स्वीकृति राशि का 50 प्रतिशत अग्रिम दिया जायेगा एवं प्रकाशन सामग्री की 25 प्रतियॉ अकादमी में जमा कराये जाने के उपरान्त ही स्वीकृति धनराशि का शेष पूर्ण भुगतान किया जायेगा।
24. प्रकाशन अनुदान योजना के अन्तर्गत प्रार्थना-पत्र निर्धारित प्रारूप के अनुसार निदेशक, उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी, 21 बीसी, गोमती रेजीडेन्सी, अशोक मार्ग, लखनऊ-226001 को भेजे जा सकते है।
25. प्रत्येक पुस्तक के भीतर कवर पेज के द्वितीय पृष्ठ पर यह तथ्य स्पष्टतया अंकित करना होगा कि ____ "पुस्तक का प्रकाशन उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी की प्रकाशन योजना के अन्तर्गत किया गया है।
26. एक वित्तीय वर्ष में एक ही व्यक्ति को एक ही विद्या में अनुदान स्वीकृत किया जायेगा।
27. पाण्डुलिपि में कहीं भी किसी भी पृष्ठ पर प्रकाशित कराये जाने से पूर्व लेखक/कवि का नाम अंकित नहीं किया जायेगा।
28. एक ही कृति में सिन्धी की दोनो लिपियों में सामग्री हो सकती है परन्तु एक ही शीर्षक दोनो लिपियों में नहीं प्रस्तुत किया जा सकेगा।
29. उपर्युक्त नियमों के अतिरिक्त यदि कहीं आवश्यक समझा जाता है तो निदेशक, उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी, लखनऊ द्वारा नया उपलब्ध जोड़ा जा सकता है।